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फेक न्यूज़ पर सख्त हुआ प्रशासन

गुरुग्राम: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अपुष्ट सूचनाओं के बारे में दायर जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने फेक न्यूज़ पर प्रभावी ढंग से रोक लगाने के निर्देश राज्य सरकारों को दिए हैं। माननीय अदालत के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, सभी जिला वासियों को आगाह किया जा रहा है कि वे अफवाह ना फैलाएं क्योंकि इससे आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा होती है।

इन दिनों कोरोना को लेकर लोग तरह तरह की पोस्ट सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं, जिससे आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। जहां एक ओर लोगों को अफवाह नहीं फैलाने के लिये जागरूक किया जा रहा है, वहीं हरियाणा पुलिस का साइबर सेल सोशल मीडिया पर निरंतर नजर रखे हुए हैं। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार सोशल मीडिया पर अफवाह या बिना पुष्टि किये गलत पोस्ट फारवर्ड करने वालो के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, कानून में इसके लिये सजा का प्रावधान भी है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

ऐसे अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखी जा रही है। साइबर सेल ने ऐसी पोस्टों पर निगरानी बढ़ा दी है। सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर कई पोस्ट वायरल हो रही हैं। कई जगहों पर लॉक डाउन में प्रवासी श्रमिकों के पलायन तथा उनकी दुर्दशा व पीड़ा के बारे में बिना पुष्टि के अफवाह फैलाई जा रही है तो कहीं लोग मजाक के साथ ऑडियो, वीडियो पोस्ट कर रहे हैं, जिससे लोग भयभीत हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि कहीं कमी नजर आती है या मदद की जरूरत है तो गुरुग्राम में जिला प्रशासन के हेल्पलाइन नंबर 1950 पर सूचित करें। अब देश में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू है और आपदा के समय अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के तहत कार्रवाई की जा सकती है जिसमें एक साल तक की सजा का प्रावधान है।

प्रवक्ता ने जिला वासियों से अपील की है कि सोशल मीडिया पर कोई अफवाह न फैलाए, इसके लिए विशेष सतर्कता बरतनी जरूरी है। अगर कोई अफवाह फैलाता पाया गया तो उसके खिलाफ महामारी अधिनियम, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम तथा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। अनावश्यक संवेदनशील संदेश वायरल न करें, जिससे दूसरे व्यक्ति को हानि हो या समाज में दुर्भावना फैले। ऐसा करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

महामारी अधिनियम के अलावा इन धाराओं में भी हो सकती है कार्रवाई।

1) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के तहत 1 साल की सजा का प्रावधान।

2) आईपीसी की धारा 188- सरकारी नियमों का उल्लंघन करना। सजा और जुर्माना

3) आईपीसी की धारा 269-उपेक्षा पूर्ण कार्य करना, जिससे कि कोई बीमार पड़ जाए, छह माह की सजा एवं जुर्माना।

4) आईपीसी की धारा 270- जानबूझकर ऐसा कृत्य करना, जिससे दूसरे को नुकसान पहुंचे, दो साल तक की सजा और जुर्माना।

5) आईपीसी की धारा 153 मतभेद फैलाना, एक साल तक की कैद और जुर्माना।

6) आई टी एक्ट 2008 की धारा 66 ए के तहत संचार उपकरण से अप्रिय संदेश भेजने पर 3 साल तक सजा का प्रावधान है।

 

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