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सीडीएस : भारतीय सेना में नए युग का आगाज

भारतीय सेना का नाम आते ही देश के हर नागरिक का सर फक्र से ऊॅचा हो जाता है। सैनिकों के लिए देश के नागरिकों के अंदर एक अलग भावना है। सैनिकों को बहुत ही सम्मान के साथ देखा जाता है। भारतीय सेना के एक नए युग की शुरूआत ही माना जा सकता है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस के पद का सृजन।
|| लिमटी खरे

वैसे तो देश की सेना सीधे सीधे राष्ट्रपति के अधीन होती हैं, पर तीनों सेनाओं की एकीकृत कमान के बारे में लंबे समय से मांग उठती रही है। अनेक सरकारों ने इसके लिए प्रस्ताव भी पास किए किन्तु इसे अमली जामा पहनाया जा सका है भाजपा की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल में। सेना में सेना प्रमुख का ओहदा ही सबसे बड़ा होता है। इसके अलावा फील्ड मार्शल जैसे ओहदे के बारे में लोगों ने सुन रखा होगा। आने वाली पीढ़ी अब सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस के पद को जान सकेगी।

देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने की बात हो या फिर देश में आपदा की कोई भी परिस्थिति, हर स्थितियों में हालात को काबू करने के लिए सेना का सहारा लेना नई बात नहीं है। देश की ब्हाय और आंतरिक सुरक्षा में भी सेना की मदद ली जाती है। विषम परिस्थितियों से जूझने में सेना के जज्बे को हर देशवासी सलाम करता दिखता है। सेना प्रमुख विपिन रावत की सेवानिवृति के साथ ही उन्हें देश की थल, वायू और जल सेना की एकीकृत कमान चीफ ऑफ डिफेंस के रूप में पद सृजित करते हुए दी गई है। वे 13 दिसंबर 2016 को सेना प्रमुख बने थे। सीडीएस के पहले सेनाओं में सर्वोच्च पद के रूप में फील्ड मार्शल का ही पद लोगों ने सुना होगा। सेना के तीनों अंगों में यही पद सर्वोच्च माना जाता रहा है। नेवी में यह पद मार्शल ऑफ द नेवी और वायु सेना में इसे मार्शल ऑफ द एयर चीफ कहा जाता है।

देश में सबसे पहली बार फील्ड मार्शल का ओहदा के.एस. करियप्पा को दिया गया था। इसके बाद 1971 में बंगलादेश के निर्माण के दौरान सेम मानेकशा की महती भूमिका को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी थी। इसके बाद से ही फील्ड मार्शल के बारे में देश दुनिया के लोग विस्तार से जान सके। सेना के जानकारों की मानें तो देश की तीनों सेनाओं की अगर एकीकृत कमान शुरूआती दौर से ही होती तो 1962 के भारत चीन युद्ध के हालात कुछ दूसरे ही नजर आते।

1971 के बंगलादेश युद्ध के दौरान भी इसकी जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही थी, किन्तु उस दौरान सेना के तीनों अंगों के बीच सामंजस्य के अभाव के चलते इस मांग को नजर अंदाज कर दिया गया था। इसके बाद कारगिल युद्ध के दौरान एक बार फिर इसकी जरूरत महसूस की गई थी। कारगिल के उपरांत रिव्यू कमेटी के द्वारा सारे हालातों का अध्ययन, विमर्श के बाद इसी तरह का एक पद सृजित करने की अनुशंसा की थी, जिसके द्वारा तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बनाया जा सके। इस अनुशंसा के बाद केंद्रीय मंत्रीमण्डल समिति ने इसका प्रस्ताव बनाया और नरेश चंद्रा एवं सुब्रमण्यम समिति, लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेटकर की अध्यक्षता में बनी समितियों ने भी इसकी अनुशंसा की थी।

सीडीएस को तीनों सेनाओं का कमांडर इन चीफ (सर्वेसर्वा) नहीं बनाया गया है। यह पद रातों रात नहीं उपजा है। इस पद के लिए लंबे समय से विमर्श चल रहा था। सीडीएस का काम देश की थल, जल और वायूसेना के बीच समन्वय बनाने का है। सेना में भावी योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी तरह की वैचारिक भिन्नता, असुविधा, तालमेल का अभाव आदि न हो पाए, यह देखने का काम सीडीएस के जिम्मे है।

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सेनाओं की जरूरतों को सरकार के सामने वजनदारी से किस तरह से रखा जा सकता है, यह देखना भी इसकी जवाबदेही में शामिल किया गया है। सेना की लड़ाकू क्षमताओं को किस तरह से और तराशा जा सकता है यह भी इसके दायित्वों का हिस्सा है। सेना के लिए उपकरणों की खरीद का जिम्मा पहले की ही तरह रक्षा विभाग के पास ही रहेगा, पर सीडीएस की भूमिका सलाहकार की रहेगी।

इसके अलावा युद्ध या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में सरकार को अलग अलग लोगों से चर्चा कर निर्णय लेने के बजाए  एक सूत्री सैन्य सलाह मुहैया होगी। तीनों सेनाओं में तालमेल के अलावा सैद्धांतिक मसलों, ऑपरेशनल समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही देश के सामरिक संसाधनों और परमाणु हथियारों का बेहतर प्रबंधन भी इसके चलते हो पाएगा।।

भारत गणराजय के अलावा लगभग पांच दर्जन से ज्यादा संपन्न देशों में यह पद बनाया गया है। इंग्लेण्ड में इसे चीफ ऑफ द डिफेंस स्टॉफ, जापान में चीफ ऑफ द स्टॉफ, चीन में चीफ ऑफ द जनरल स्टॉफ, कनाडा में चीफ ऑफ द डिफेंस स्टॉफ, इटली में चीफ ऑफ डिफेंस, स्पेन में दा चीफ और डिफेंस स्टॉफ, फ्रांस में द चीफ ऑफ द आर्मीज के नाम से यह पद है। दुनिया के चौधरी माने जाने वाले अमेरिका सहित 70 से ज्यादा देशों में यह पद है। यह सेना की योजनाओं में एकीकरण और ऑपरेशन काफी अहम है। अमेरिका में जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ सर्वाेच्च सैन्य अधिकारी का पद है, जो राष्ट्रपति का मुख्य सैन्य सलाहकार होता है। चीन ने 2016 में पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को पांच थिएटर कमांड में बदलने का फैसला किया।

इसके पहले सरकार के द्वारा सीडीएस पद पर अधिकतम आयु सीमा को 64 वर्ष किया गया था, बाद में इसे एक साल बढ़ाकर 65 साल कर दिया गया है। साथ ही यह भी कहा है कि प्रोटोकॉल में सीडीएस के पद को सेना के तीनों अंगों के वर्तमान सर्वाेच्च अधिकारियों से एक रैंक ऊपर और कैबिनेट सचिव से एक रैंक नीचे का रखा जाए। इस पद पर तैनात अधिकारी का ओहदा चार सितारा जनरल वाला होगा।

देश में सेना की एकीकृत कमान हेतु एक पद का सृजन निश्चित तौर पर भारतीय सेना के लिए नए युगा का आगाज माना जा सकता है। इसके सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव तो समय के साथ ही पता चल पाएंगे, पर इस पद के सृजन के साथ ही सेना और सरकार के बीच बेहतर समन्वय की उम्मीद की जा सकती है।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

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