कला साहित्यबस वही ज़मीं चाहिएTAC HindiDecember 10, 2020 by TAC HindiDecember 10, 202002306 बस वही ज़मीं चाहिए ज़ज्बात की जुबां है गहरी तो होगी ही, खातिर समझने को दिल में नमी चाहिए। भाग रहे हैं आज कल मुगालते
कला साहित्यकविता: 5 अप्रैल नई उम्मीद का पर्व प्रकाश पर्वTAC HindiApril 5, 2020April 5, 2020 by TAC HindiApril 5, 2020April 5, 202002587 प्रकाश पर्व मनाया आज दीपों को सजाकर आज दीपावली मनाई है । शंख नाद की गूंज के साथ उम्मीद ये हमने जगाई है । अंधकार
कला साहित्यकविता : माँTAC HindiFebruary 11, 2020 by TAC HindiFebruary 11, 202013966 मेरी प्यारी सबसे प्यारी ; ओ मेरी माँ तुमने मुझे जीना सिखाया कभी न भूलूँगा|| तुम्ही मेरी उपरवाला तुम्ही मेरी माँ | तुम्ही मेरे सब
कला साहित्यकविता “नाजुक रिश्ते”TAC HindiJanuary 19, 2020 by TAC HindiJanuary 19, 202002483 बहुत नाजुक से हो गए है आजकल ये रिश्ते, अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो! अकड़ बढ़ गयी हो औऱ हो
कला साहित्यकविता: माँ और मैंTAC HindiNovember 23, 2019November 23, 2019 by TAC HindiNovember 23, 2019November 23, 201901874 माँ और मैं मेरे सर पे दुवाओं का घना साया है। ख़ुदा जन्नत से धरती पे उतर आया है।। फ़कीरी में मुझे पैदा किया, पाला