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आज की जरूरत पर फिट बैठती नई नई पार्टियाँ

10 साल कांग्रेस के शासन के बाद राज्य की जनता ने जिस तरीके से सत्ता भाजपा के हाथ में सौंपी थी उससे यह तो स्पष्ट हो गया की जनता बदलाव चाहती है. पिछले 5 साल के भाजपा के शासनकाल में भाजपा ने काफी कुछ ऑनलाइन प्रक्रिया का अनुसरण किया. भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दे पर आई भाजपा भ्रष्टाचार के मामलों पर ज्यादा नकेल तो नहीं कस पाई, परंतु भाजपा का ज्यादातर ध्यान राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में लगा रहा. इस दौरान कांग्रेस के कार्यकाल के समय से बंद पड़े कुछ हाईवे के प्रोजेक्ट सड़क और बिजली की व्यवस्था को भारतीय जनता पार्टी ने शुरू किया. केंद्र में भाजपा के दौरान स्मार्ट सिटी आदर्श गांव जैसी योजनाएं और परियोजना का जिक्र बहुत हुआ परंतु 5 वर्ष के कार्य के अनुरूप अगर हम देखें तो एक भी स्मार्ट सिटी बनकर तैयार नहीं हुई. आदर्श गांव का भी कुछ अता पता नहीं चल पाया. इस बीच भाजपा ने कई आंदोलन जैसे जाट आंदोलन आदि को भी हैंडल किया. भाजपा के पिछले 5 साल का लेखा-जोखा देखे तो सिर्फ सड़कों और फ्लाईओवर का जाल बनता नजर आता है. जबकि कई कॉलोनियों की अंदरूनी सड़कें अभी भी गड्ढों में समाई हुई है. एनसीआर में लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा भी नहीं मिल पा रही. पानी की समस्या और बिजली की समस्या गर्मियां शुरू होते ही बढ़ती जाती है.

भाजपा के विकास कार्यों की बात की जाए तो खुद भाजपा के प्रवक्ता के अनुसार भाजपा सिर्फ 80% काम ही कर पाई है. जबकि दूसरी पार्टियों के अनुसार बीजेपी राज मे विकास 1 इंच भी आगे नहीं बढ़ पाया है। भाजपा प्रवक्ता एवं मलिक के अनुसार 47 विधायकों वाली भारतीय जनता पार्टी आज के समय में 62 विधायकों के समर्थन से चल रही है. इस बीच विधानसभा की बात करें तो इन 5 वर्षों में भाजपा ने कई विधायकों को अपने पाले में किया है. इसके अलावा कई विधायक खुद भी उनकी पार्टी से जुड़े हैं.

बात नई पार्टियों की

परंतु यह बात आज के समय में नई राजनीतिक पार्टियों की. इस बीच आम आदमी पार्टी और स्वराज इंडिया जैसी नई पार्टियों का भी दिन हुआ है. इन पार्टियों ने भाजपा के विकास कार्यों को पूरी तरीके से नकारते हुए अपनी एक बुद्धिजीवी तरीके से उपस्थिति दर्ज की है. भाजपा के कार्यों का लेखा-जोखा का विश्लेषण करना हो या फिर इन्हीं राज्य की समस्या पर अपनी राय प्रकट करनी है इन सभी मुद्दों पर यह नई पार्टियां कहीं ना कहीं खरी उतरती है. जिस तरीके से पहली बार इन नई पार्टियों ने एक विधायक का घोषणापत्र लागू करने का चलन आरंभ किया है उससे इनकी एक नई सोच का पता चलता है. यह नई सोच एक नए बदलाव की ओर जाती है, जो शायद भविष्य में राज्य को एक ऊंचे स्थान पर ले जाने का हौसला भी रखती हो. एक विधायक के घोषणा पत्र की शुरुआत सबसे पहले आम आदमी पार्टी के गुरुग्राम के उम्मीदवार ने की इसके बाद फिर यही घोषणा पत्र योगेंद्र यादव की स्वराज इंडिया पार्टी ने भी की.

एक विधायक के तौर पर अपने आने वाले 5 सालों के कार्यकाल का एडवांस में लेखा-जोखा लाने की प्रक्रिया या परंपरा अपने आप में एक नई सोच दर्शाती है. प्रत्येक राज्य अपने हिसाब से तरक्की तो करता है परंतु काफी हद तक एक पार्टी की सोच पर भी निर्भर रहता है. ऐसे में अगर इन नई पार्टियों को मौका दिया जाए तो शायद चुनाव के साथ-साथ राज्यों की भविष्य की तस्वीर कुछ और ही होगी.

देखा जाए तो मौजूदा समय में पक्ष और विपक्ष के पास मुद्दों के नाम पर एक दूसरे को कोसना भर रह गया है. उनके पास अपने किए हुए काम बताने के लिए कुछ नहीं है.

गली चौराहों गांव में शराब के ठेके खुलने वाली भाजपा इस बार स्कूलों और मंदिरों के पास से शराब के ठेकों को दूर रखने की बात अपने घोषणापत्र में कर रही है. ऐसे में यह सवाल उठाना जरूरी है कि यह काम पिछले 5 सालों में क्यों नहीं किया गया. राज्य की स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था लगभग चौपट ही है.

जबकि इन सब के विपरीत नई पार्टियों के मुखपत्र से और उनकी इसको क्रियान्वित करने की शैली से लगता है कि अगर राज्य को इन नई पार्टियों के हाथ में सौंपा जाए तो शायद पहले से अधिक तरक्की हो.

आज समय बदल रहा है. लोग पढ़ लिख कर आगे बढ़ना और दूसरे देशों में जाना चाहते हैं. जबकि राजनीतिक पार्टियां आज भी चुनाव के समय मुख्य मुद्दों से हटकर जनता को देश प्रेम की राह पकड़ने और धार्मिक कार्य में उलझाए रखना चाहती है.



कर्मवीर कमल की रिपोर्ट

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