ऐसा माना गया है कि राम भक्त हनुमान आज भी जीवित है और जहां कहीं भी राम के नाम का स्मरण होता है वह वो ज़रूर उपस्थित होते है।
|| छाया सिंह
कहा जाता है कि तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि आज भी हनुमान जी हिमालय के पर्वतों में ध्यान में है और भक्तों के बुलाने पर ज़रूर आते है।
लेकिन कई बार प्रश्न आता है की ऐसा क्यों है कि आज भी हनुमान ही को जीवित माना जाता है। इसके पीछे भी कई कहानियां है।
ऐसा कहा गया है कि जब इन्द्र ने वज्र से बालक हनुमान पर प्रहार किया था तब पवन देव बेहद क्रोध में आ गए थे और पुत्र की ये दशा देखकर उन्होंने खुद को एक गुफा में कैद कर लिया। जब देवताओं ने यह देखा तो सभी ने पवन देव से दया याचना करनी शुरू कर दी। और तब स्वयं ब्रह्मा ने पवन पुत्र हनुमान को यह वरदान दिया कि संसार के किसी भी अस्त्र या शस्त्र से उनका विनाश नहीं हो सकता। इन्द्र ने उन्हें ये वरदान दिया कि उनकी मृत्यु सिर्फ उनकी अपनी मर्ज़ी से हो सकती है। इसीलिए हनुमान ही अमर और अविनाशी है।
रामायण के उत्तरकांड में भी इसका उल्लेख है जिसमें जब प्रभु श्री राम को यम देवता उनकी मृत्यु के बारे में अवगत कराते है तब श्री राम अपने भाई भारत और शत्रुघ्न के साथ सरयू के पास जाते है। उसके पहले श्री राम कई लोगो को आशीर्वाद और वरदान देते है।
प्रभु श्री राम हनुमान जी को ये वरदान देते है कि जब तक मेरी कथा इस संसार में चलती रहेगी तुम यही रहोगे और सदैव के लिए प्राणियों की भलाई के लिए हिमालय में वास करोगे।
हनुमान चालीसा में भी लिखा गया है “चारो जुग प्रताप तुम्हारा”। चारो युगों में हनुमान जी का प्रताप रहेगा। माता सीता ने भी हनुमान को वरदान दिया था कि तुम्हारा कोई अहित नहीं कर पाएगा। तुम सदैव अमर रहोगे। किसी भी प्रकार के शस्त्र से तुम्हारी हानि नहीं हो सकती।
और इन्हीं कथाओं के आधार पर आज भी जहां भी श्री राम का नाम लिया जाता है हनुमान जी ज़रूर उपस्थित होते है।