Breaking News भारत

धारा 35ए का हटना और नया कश्मीर

सन् 1947 भारत विभाजन के बाद से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा सदैव सुर्खियों में बना रहा है, जिसका फैसला सियासी खेल के तहत कभी हो ही नही पाया। जम्मू-कशमीर एक ऐसा राज्य जो यूं तो भारत का ही हिस्सा है मगर जिसके लिए 14 मई 1954 को राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी ने एक आदेश जारी कर, सविधान में धारा 35 ए को जोड़ा। उपलब्ध तथ्यों के अनुसार अनुच्छेद 370 के तहत 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया जिसके तहत वह व्यक्ति जो 19 मई 1954 को जम्मू-कश्मीर राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रहा हो, स्थानीय नागरिक माना जाएगा। 1947 के हिन्दूं परिवार अब तक शरणार्थी माने जाते है। बाहरी लोग राज्य में संपत्ति नही खरीद सकते। राज्य सरकार की नौकरी नही कर सकते, किसी भी सरकारी नौकरी या शैक्षिक संस्था में दाखिला नही। निकाय, पंचायत, चुनाव में वोटिंग राइट नही। ये फैसला क्यों और किन परिस्थितियों को सोच कर लिया गया होगा, ये विचारणीय विषय है।

भारत पाकिस्‍तान विभाजन ने ना सिर्फ जमीन पर सरहदे खड़ी की बल्कि आवाम के दिलों को विभाजित कर दिया। आज ये नफरत का ज़ख्म नासूर बन गई है। दोनों देशों के बीच होने वाला खेल हो, साहित्य का प्रोग्राम या कुछ और उसे सियासत से जोड़ जंग का रूप दे दिया जाता है। विभाजन के दौरान लगी आग का ही हिस्‍सा जम्मू-कश्मीर है जो आज भी चिंगारी की तरह सुलग रहा है। मुद्दा ये है कि यदि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है तो अलग संविधान, नियम क्यों? क्या खास राज्य के अधिकार और नियम का लागू रहना न्याय संगत है या फिर उसका हट जाना? आज के हालातों के तहत इस धारा के हट जाने से देश पर क्या असर पढ़ने वाला है? उम्मीद है सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम दिनांक 5 अगस्त 2019, देश के लिए हितकारी होगा। आवाम/जनता इस फैसलें से हताहत नही होगी क्योंकि राजनैतिक फैंसलो की भर-पाई सदैव आम जनता को ही करनी पड़ती है।

किसी को इतने सालों तक खास बना उपलब्ध अधिकार छीन लेने से उस राज्य और उन लोगों का बौखलाना कोई हैरत की बात ना होगी, इसी चीज को मद्दे नजर ऱखते हुए जम्मू-कश्मीर मे धारा 144 लगा दी गई है, जिसके चलते सभी तरह की संचार सेवाएं बंद कर दी गई है। हालातों को मद्दे नजर रख आवाम /जनता को दिलों में सुलगती हुई नफरत से उपर उठ देश हित में साथ चलना होगा।


केशी गुप्ता
(लेखिका एक समाज सेविका है और दिल्ली मे रहती है।)

Related posts

बिना 75 पार बनी मनोहर सरकार

TAC Hindi

केवल जन आन्दोलन से प्लास्टिक मुक्ति अधूरी कोशिश होगी

TAC Hindi

असल में ये हमारी मौत का फरमान है…

TAC Hindi

लवकुश रामलीला : अरविंद केजरीवाल एवं भूमि पेंडारकर ने किया रावण दहन

TAC Hindi

लव जेहाद: आखिर क्यों हो रहा इतना बवाल

TAC Hindi

हैदराबाद एंकाउंटर, न्याय या न्याय की हत्या?

TAC Hindi

Leave a Comment