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असल में ये हमारी मौत का फरमान है…

सांस लोगे तो मौत… और नहीं लोगे तो भी मौत…यह करनी किसी और की नहीं हमारी ही है जो आज हर सांस के साथ हमारी मौत बनकर शरीर के अंदर जा रही है.
तरुण कुमार

मौत का साया चारों ओर छाया

कोरोना के साथ आज भी चारों ओर एयर पोल्यूशन मौत के रूप में सिर पर मंडरा है. यह कितना खतरनाक है और कितना खतरनाक हो सकता है इस बात का अंदाजा तो आप लगा ही चुके होंगे. दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश बचा होगा जो इस खतरनाक मौत के साय से रूबरू ना हुआ हो। लेकिन आज स्थिति यह है कि घर के अंदर बैठे होने के बाद भी हम स्वच्छ सांस नही ले पा रहे हैं.

एयर प्यूरीफायर की मदद से हवा को साफ कर जीने की जद्दोजहद करते हुए कई परिवार आपने देखे होंगे। लेकिन मुंह पर मास्क लगा कर घर से निकलना अब जरूरी हो गया है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो कुछ घंटो बाद ही सिर दर्द, गले में दर्द और भी अलग-अलग लक्ष्ण आपको महसूस होने लगेंगे। चलिए आपको वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों से आपका परिचय कराता हूं।

 

विश्व भर में मौत के आंकड़े

India Today Data Intelligence Unit (DIU) के अनुसार खतरनाक वायु आपके जीवन के 17 साल कम रही है। खास तौर से दिल्ली की हवा जबकि विश्व भर में वायु प्रदूषण के चलते मनुष्य की 1 साल 8 माह की जिंदगी कम हो रही है. ‘State of Global Air 2019 रिपोर्ट बताती है कि सालभर में 1.2 मीलियन लोग केवल भारत में वायु प्रदूषण के कारण मारे जाते हैं. इतना ही नहीं साउथ एशिया के देश में बच्चे सबसे प्रदूषित वातावरण में पैदा हो रहे हैं जिससे उनकी उम्र दो साल छ माह तक कम हो रही है. विश्व भर में धूर्मपान, शराब, कुपोषण जैसी खतरनाक बीमारियों से भी ज्यादा मौते प्रदूषण के कारण हो रही है.

भारत में होने वाली मौतों में वायु प्रदूषण तीसरे स्थान पर है जिसके कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं। आउट डोर और इनडोर वायु प्रदूषण से करीब 5 मिलियन मौतें होती है, जिसमें स्ट्रोक, डायबिटीज, हार्टअटैक, लंग कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस शामिल है। इसके अलावा पीएम 2.5 के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से भारत और चीन में 3 मिलियन से अधिक लोग मौत का शिकार होते हैं।

साउथ एशियाई देशों में भारत, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देश सबसे अधिक प्रदूषित देश है। जहां 1.5 मिलियन से भी अधिक लोग सिर्फ वायु प्रदूषण के चलते अपनी जान गवां बैठते हैं। चाइना और भारत दोनों सयुक्त रूप से इस बात के लिए जिम्मेदार है कि विश्व भर में होने वाली मौतों में से आधी मौत इन दोनों देशों द्वारा फैलाएं गए वायु प्रदूषण के कारण होती है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि मानव निर्मित जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न उत्सर्जन से दुनिया भर में वायु प्रदूषकों से लगभग 65 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।

पृथ्वी का 95 % भाग प्रदूषण की चपेट में

पृथ्वी का 95 प्रतिशत भाग प्रदूषण की चपेट में है. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं हम किस तेजी के साथ खुद की मौत को बुलावा दे रहे हैं। विकास के चक्कर में हम अपने पैरों पर ही लगातार कुल्हाडी चलाएं जा रहे हैं। इस बात को नजर आंदाज किए बगैर कि हम क्या कर रहे हैं और आगे इसका क्या परिणाम होगा। आंकड़े और भी बहुत कुछ कहते हैं. भारत में 12.5 प्रतिशत मौतें केवल वायु प्रदूषण के कारण होती है. इतना ही नहीं हर साल एक लाख बच्चे पांच साल की उम्र से पहले ही इसकी चपेट में आ कर दम तोड़ देते हैं।

विश्व में टॉप पर काबिज भारत

विश्व भर में सबसे अधिक वायु प्रदूषण के शीर्ष पर भारत ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. इतना ही नहीं भारत ने वायु प्रदूषण फैलाने में भी अलग अलग राज्यों में भी अपना परचम लहरा रहा है। टॉप 10 देशों के शहरों में भारत के तीन शहर शामिल है जिसमें देश की राजधानी दिल्ली पहले स्थान पर है जिसके बाद पाकिस्तान का कराची शहर है.

3 और 4 नंबर पर बीजिंग और पाकिस्तान के लाहौर ने अपना दबदबा कायम किया हुआ है। इसके बाद एक बार फिर 5 और 8 वें स्थान पर भारत का मुंबई और कोलकाता शहर इस सूची में देश की शान में चार चांद लगा रहे हैं. कितने गर्व की बात है की भारत के 3 प्रमुख शहर इस सूची में शामिल है जो विश्व पटल पर एक अनोखी शाख बना रहे हैं.

इंसान ही नहीं जानवर भी इसकी चपेट में

जब आप गूगल पर How many animals die each year from air pollution? टाइप करते हैं तो आपके सामने चौंकाने वाले आंकड़े सामने होते हैं. आंकड़े बेशक पुराने हैं लेकिन होश उड़ाने के लिए काफी है। 71000 जानवरों ने साल 2010 में वायु प्रदूषण के कारण गवांई। अब सवाल यह उठता है कि क्या जानवर भी वायु प्रदूषण करते हैं. क्या जानवर भी विकास के नाम पर गाड़ी में बैठ कर ऑफिस जाते हैं. अब क्या कहेंगे आप?

धरती से अंतरिक्ष तक प्रदूषण ही प्रदूषण

जहां एक ओर हम धरती पर ही खुद की मौत की कब्र खोद रहे हैं वहीं दूसरी ओर अंतरिक्ष को हमने इससे अच्छूता नहीं रखा. पिछले पचास वर्षो के दौरान अंतरिक्ष में भेजे गए उपग्रहों, प्रयोगशालाओं और अन्य मिशनों से निकले कचरे का ढेर चक्कर लगा रहा है. इस कचरे में हज़ारों नट बोल्ट, दस्ताने, उपग्रहों से उतरा पेंट, ईंधन टैंक और ढेरों ऐसी चीज़े हैं जो अंतरिक्ष-मिशनों के लिए भारी ख़तरा हैं.

उपाए

इस विषय पर ज्ञान बाटंने से बहतर है चुप ही रहा जाएं. क्या उपाए करने चाहिए यह बहुत अच्छे से आपको पता है. क्या करना है, कैसे करना इस बात की जानकारी भी आपके पास है. अब तो इस बात को समझिए कि यो जो मौत का फरमान हमने खुद अपने हाथों से अपने लिए लिखा है और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए जो वातावरण हम तैयार कर रहे हैं क्या वाकई वो इसके हकदार है… फैसला आपका है…

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