“हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप, भेष भाषा चाहे अनेक है” कंहा खो गए है ये बोल, जो भारत देश के गौरव का बखान करते हैं। अनेकता में एकता का गुणगान गाने वाले भारतीय “लैंड जिहाद” और “हिन्दु पलायन” जैसे मुद्दों का शिकार हुए बैठे हैं। कहां है धर्म निरपेक्षता? भारत जो एक धर्म निरपेक्ष देश है, वहां किसी भी धर्म के अल्पसंख्यक होने का मुद्दा उठना, ना सिर्फ भारतीय संस्कृति और संविधान के विरोध है बल्कि मानवता पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है।
राजनीतिक दलों की वोट बैंक की नीति ने ऐसा खेल खेला है कि आज देश में धर्म, जाति तथा अन्य मतभेदों को लेकर आरजकता का माहौल है। मानवता धर्म पीछे छोड़ व्यक्ति धर्म जाति लिंग भेद इत्यादि लड़ाई में उलझा दिया गया है। नफऱत की इस आग में ना सिर्फ मेरठ का प्रह्लाद नगर झुलस रहा है बल्कि हर दूसरे प्रातं, राज्य का यही हाल है।
मेरठ हिन्दु पलायन मुद्दे के तहते वहां रहने वाले हिन्दुओ को अलग अलग तरीके से परेशान किया जा रहा है, जिससे उन्हे कम दामों में अपने मकान जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जिसे “लैंड जिहाद” का नाम दिया जा रहा है। कभी लैंड जिहाद तो कभी लव जिहाद, हिन्दुस्तान, पाकिस्तान बटवारे की आग को देश के सियासत दारों ने कभी ठंडा नही होने दिया। आवाम के जख्मों को हवा दे हरा रखा जाता है और फिर उन पर सियासी खेल खेला जाता है। विंडम्बना ये की अनपढ़ तो क्या पढ़े लिखी जनता भी आखों पर पट्टी बांध धर्म जाति की इस नफरत भरे सियासी खेल का शिकार हो, उसका हिस्सा हो जाती है और अपने ही पड़ोसी, दोस्त का गला काटने तक में पीछे नही रहती। क्या धर्म मानवता के विरोध है? क्या अल्पसंख्यकों को दबाना, किसी भी तरह का अत्याचार करना नैतिक तथा धार्मिक है? ऐसे सभी सवालों पर प्रत्येक व्यक्ति, भारतीय नागरिक को विचार करना जरूरी है। वरना देश में फैली आरजकता, दिलों में फैली नफरत नर संहार का विशाल रूप ले लेगी।
हर जगह के हिसाब से वहां रहने वाले लोगो में किसी धर्म के लोग अल्पसंख्यक तथा किसी धर्म के अधिक संख्या होंगी ही क्योंकि भारत देश में कई धर्म के लोग रहते हैं। पर यदि हम मानवता को अपना धर्म बना ले तो ये जिहाद और पलायन जैसे मुद्दे कभी ना उठे। आवाम को जागरूक होना होगा, जिससे कोई भी, किसी भी धर्म के लोगो की भावनाओं को मोहरा बना सियासी खेल ना खेल सके। देश और समाज का हित केवल और केवल मानव धर्म के पालन में है क्योंकि “सबका मालिक एक है” और “हम सब एक है। ”