किसी भी देश के युवा देश का भविष्य होते हैं। मगर आज इस देश में जेएनयू में हुए घटना एक बड़ी चिंता का विषय है। जेएनयू देश की जाने- मानी यूनिवर्सिटीज में आती है जहां देशभर से युवा पढ़ने के लिए आते हैं। पिछले कुछ समय से जेएनयू, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी किसी न किसी वजह से चर्चा का विषय बनी रही है। सवाल यह उठता है कि होता है कि आखिर ऐसा अचानक क्या हो गया है कि देश के विख्यात यूनिवर्सिटीज चर्चा का विषय बन गई है ? यूनिवर्सिटीज के बच्चे असंतुष्ट नजर आते हैं तथा विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
केशी गुप्ता | लेखिका समाज सेविका
रविवार को हुए जेएनयू में हिंसा के मामले ने देश भर को झनझोड़ के रख दिया है। बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को दिल्ली की इन बड़ी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए तथा अपना भविष्य बनाने के लिए भेजते हैं। परंतु इस तरह खुलेआम हुए हिंसा के वाक्य से उन अभिभावकों कि मनोस्थिति का अंदाजा लगाना कठिन नहीं है। क्या अभिभावकों को अपने बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर नहीं भेजना चाहिए ?क्या आज की युवा पीढ़ी अपने ही शिक्षा संस्थान में सुरक्षित नहीं? क्या यह घटना पुलिस तथा शैक्षिक संस्थान की सुरक्षा पर सवाल नहीं? ऐसा कैसे मुमकिन है कि दिल्ली की नामी यूनिवर्सिटी में घुसकर घुसपैठिए वहां के विद्यार्थियों को बिना किसी ऊपरी संरक्षण के इतनी बेरहमी से मारे की उनकी जान को खतरा हो? आखिर ऐसी कौन सी नफरत की लहर चल पड़ी है कि जो युवा पीढ़ी को भी अपना शिकार बना रही है? ऐसे कई सारे सवाल देश के मौजूदा हालातों को मद्देनजर रख खड़े होते हैं।
जेएनयू की युवा अध्यक्ष आईशी घोष के बयान के मुताबिक एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने इस हिंसक घटना को अंजाम दिया तथा उसे और उसके साथियों को लोहे की छड़ी से मारकर उन्हें घायल किया। पुलिस से सहायता मांगी गई मगर वह भी उन्हें समय से उपलब्ध नहीं हुई यहां तक कि शैक्षिक संस्थान की सिक्योरिटी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की। यदि हम राजनीतिक नजरिए से इस मुद्दे को देखें और यह मान भी लें की यह मौजूदा सरकार के खिलाफ एक राजनीतिक दांवपेच है तो भी बड़ा मुद्दा यह है कि आखिर घटना को अंजाम देने वाले किसी भी संस्था के हो उनमें यह हौसला आया क्यों और कैसे? क्यों समय से जेएनयू विद्यार्थियों को सुरक्षा नहीं दी गई? क्यों नहीं इस घटना की तहकीकात कर घटना के दोषियों को अब तक पकड़ा जा सका? क्या इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में कहीं कोई सीसीटी कैमरा नहीं लगा हुआ जिससे की घटना की तहकीकात हो सके?
जेएनयू जामिया मिलिया यूनिवर्सिटीज खुले विचार तथा बुद्धिजीवी संस्थानों के रूप में जाने जाते हैं। शैक्षिक संस्थान का दर्जा बहुत ही ऊंचा होता है उसकी गरिमा को बनाए रखना शैक्षिक संस्थान में कार्यरत प्रत्येक व्यक्ति तथा पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी पर होता है। युवा पीढ़ी को अपने विवेक से काम लेते हुए हर कदम समाज और देश के हित में सोचते हुए उठाना चाहिए क्योंकि आज के युवा ही कल के भावी नेता बनते हैं।