Breaking News विचार

पुराने ढर्रे पर चुनाव लड़ना पड़ा भारी…

...पड़ेगी अब राजनैतिक जमीन तलाशनी... या राजनैतिक जमीन तलाशने को मजबूर श्रेत्रिय दल?
राजेन्द्र रावत

लोक सभा चुनाव वर्ष 2019 के नतीजों ने सभी राजनीतिक दलों को चौंका दिया जो एग्जिट पोल को नकार रहे थे। एक होड़ सी मची थी कि सभी दलों में कि अगला प्रधान मन्त्री उन्ही की पार्टी से बनेगा या उनके सर्मथन से। परन्तु सभी दलों के गणित धरे के धरे रह गये और लगभग पूरे भारत में कमल लहलहा उठा। कई दिग्गजों को मुह की खानी पड़ी तो कई राज्यों में तो क्लीन स्वीप हो गई, देश में सबसे ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस पार्टी। यहां तक की कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को अपनी परम्परागत सीट पर खतरा महसूस हुआ और वायनाड की सेफ सीट का सहारा लेना पड़ा। आखिर पहली बार राहुल गांधी को पहली बार अमेठी सीट से हार का मुह देखना पड़ा।

बंगाल और उड़िसा जैसे राज्यों में भी कमल ने कमाल दिखाया और रिकार्ड बहुमत प्राप्त किया। केवल उड़ीसा एक मात्र ऐसा राज्य जहां पटनायक ने विधान सभा में अपना जलवा पांचवी बार भी बरकरार रखा और मुख्यमंत्री भी बने। बुआ बबुआ महागठबंधन भी बुरी तरहं से धराशायी हुआ और अपने परिवारिक विरासत में भी हार का मुंह देखना पड़ा।

कुल मिलाकर श्रेत्रिय दलों को लगभग अपनी जमीन खिसकती हुई दिखाई पड़ी। हरियाणा में कांग्रेस के बड़े दिग्गज खाता तक नही खोल पाए और हार गए। क्षेत्रीय दल जैसे आम आदमी पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल, जननायक जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, एन सी पी व अन्य को नुकसान उ़ठाना पड़ा और राष्ट्रीय जनता दल की तो लालटेन तक बुझ गई। इन सभी श्रेत्रिय दलों को अब अपनी राजनीतिक जमीन तलाशनी पड़ेगी नही तो ऐसा न हो कि इनका अस्तित्व ही खत्म न हो जाए। अगली बार के चुनाव सांसदों के काम पर ही वोट मिलेगा नाकि दूसरों को गाली देने, न जात पात पर और न ही किसी लहर पर।

Related posts

पानी के दोहन से शुरु हुआ मौत का COUNT DOWN

TAC Hindi

लव जेहाद: आखिर क्यों हो रहा इतना बवाल

TAC Hindi

सहमति, असहमति, विरोध प्रदर्शन और नागरिक दायित्व

TAC Hindi

जेएनयू हिंसा घटनाक्रम और नफरत की लहर

TAC Hindi

2019 के प्रमुख मुद्दे और रहते निशान

TAC Hindi

प्रदूषण बना इस चुनाव का कॉमन मुद्दा

TAC Hindi

Leave a Comment