भारतीय शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए प्रतिबद्ध गैर-लाभकारी संस्था, रसिक परफॉर्मिंग आर्ट्स ने अपने वार्षिक उत्सव, ‘प्रयास : नृत्य की मनमोहक शाम’ के 26वें संस्करण को रचनात्मक उत्कृष्टïता के साथ अपैरल हाउस, गुरुग्राम में आयोजित किया। संगीत और नृत्य की प्रतिमूर्ति के रूप में प्रयास ने इस अवसर पर जहां युवा प्रतिभाओं के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया, वहीं गुडग़ांव के दर्शकों के लिए प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुतियां भी पेश कीं। प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित जयंत कस्तूर, श्री रविद्र मिश्रा, चित्रा शर्मा और सीसीआरटी के उपनिदेशक (एसएंडएफ) दिबाकर दास सहित संगीत उद्योग के प्रतिष्ठित दिग्गजों ने मंच की शोभा बढ़ाई।
प्रयास 2023 की सफलता के बारे में बात करते हुए, गुरु जयश्री आचार्य ने कहा, ‘कथक मेरे लिए नृत्य, लय, माधुर्य और कविता के विविध क्षेत्रों में प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जो लोगों, भावनाओं और लगातार विकसित हो रही दुनिया की जटिलताओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। प्रयास के माध्यम से, मैं कथक की कलात्मकता से मोहित युवा पीढ़ी के जिज्ञासु दिमागों को अभिव्यक्ति और शिक्षा के इस गहन माध्यम से परिचित कराने का प्रयास करता हूं।’
इस संगीतमय शाम की शुरुआत रसिक परफॉर्मिंग आर्ट्स के 5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 50 प्रतिभाशाली स्टुडेंट्स की प्रस्तुतियों से हुई, जिन्होंने मंच पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का मनमोहक प्रदर्शन किया। शाम का मुख्य आकर्षण रसिक परफॉर्मिंग आट्र्स के सम्मानित संस्थापक, गुरु जयश्री आचार्य का युगल प्रदर्शन था, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। ‘छंद लीला’ के प्रदर्शन में सभी वाद्ययंत्रों से निकले यूनिक लयबद्ध और मधुर स्वर महसूस किया जा सकता था। इसमें कथक के हाव-भाव, अभिव्यक्ति का संपूर्ण कौशल पूरी मधुरता से झलक रहे थे, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे थे। सम्मानित अतिथि प्रीतिशा महापात्रा की एक विशेष ओडिसी प्रस्तुति से यह संगीतमय शाम और भी अद्भुत एवं आनंददायक हो गई।
विशेष रूप से क्यूरेटेड प्रदर्शनों में समृद्ध भारतीय शास्त्रीय कलाओं की विविधता दिखी। शाम की शुरुआत ‘हरि हर’ से हुई, जिसमें गहरी गोधूलि राग और एकताल के जटिल 12-बीट चक्र के संयुक्त प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया क्योंकि इस प्रस्तुति में सुंदर राग कौशिक कनारा में शिव और कृष्ण के मिलन का जश्न मनाया गया। इसके बाद राग देश में ‘सरस्वती वंदना’ प्रस्तुत की गई। फिर बच्चों ने राग बिलावल के मधुर कैनवास में बुने गए पैटर्न ‘आकाश’ का प्रदर्शन किया, जो मोहक चंचलता और एक ताजा मिठास प्रदान करता था।
इस मंच पर कलाकारों ने तीनताल के सोलह-बीट चक्र के साथ राग भूपाली में तराना सेट ‘भूपाली’ का प्रदर्शन किया। रसिक परफॉर्मिंग आर्ट्स के युवा कलाकारों ने ‘बिलावल’ का मनमोहक प्रदर्शन किया, जिसमें राग बिलावल के मधुर आकर्षण को तीन ताल की आकर्षक धुनों के साथ जोड़कर शास्त्रीय अनुशासन के कठोर संगीत ढांचे के भीतर बच्चों जैसी मस्ती का प्रदर्शन किया गया।
इसके बाद 19वीं सदी के ब्राह्मण कथावाचक बिंदादीन महाराज के सम्मान में, दर्शकों को कृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत कथक के एक और मंत्रमुग्ध कर देने वाले प्रदर्शन का आनंद लिया गया। सात-बीट चक्र रूपक समय चक्र के संयोजन में रचित अष्टपदी ने वृंदावन में कृष्ण के नृत्य का एक जीवंत दृश्य निर्मित किया। इसके बाद फारसी-प्रभावित तराना जय जयवंती की प्रस्तुति हुई। इस तराना ने 16-बीट तीनताल चक्र और जयजयंती के मधुर पैमाने पर एक और सुंदर नृत्य-संगीत का अनुभव कराया। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ा, युवा कलाकारों ने 1990 के दशक की गुरु जयश्री आचार्य की एक रचना ‘तीनताल’ का प्रदर्शन किया, जिसमें 16-बीट चक्र में सारंगी वादन पर ताल का प्रदर्शन किया गया।
युवा छात्रों ने राग जोग में लखनऊ घराने की विशिष्ट कथक परंपराओं की प्रस्तुति ‘जोग तराना’ प्रस्तुत की। इसके बाद राग कलावती पर आधारित ताल, तीन ताल एवं अभोगी के संयोजन में सरगम की प्रस्तुति की गई।
प्रयास 2023 की शानदार सफलता एवं यहां आई उत्साहित भीड़ ने भारतीय शास्त्रीय कलाओं की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और इसे आगे बढ़ाने में रसिक परफॉर्मिग आर्ट्स के समर्पण पर एक बार फिर अपनी मुहर लगा दी। इस संगीतमय शाम का संगीत श्री शिव शंकर रे और श्री प्रतीप बनर्जी द्वारा रचित था।