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सीड्स ने गुरुग्राम में प्राकृतिक समाधानों से वजीराबाद स्थित झील का पुनरुद्धार किया

जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने और जल संरक्षण  में संवर्धन के लिए सीड्स गुरुग्राम के वजीराबाद स्थित झील में 18 एकड़ क्षेत्र का विकास करने की दिशा में काम कर रहा है

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब बाढ़ आने की बढ़ती घटनाओं के कारण शहरों पर दिखाई देने लगा है.  निर्माण क्षेत्र में बढ़ी गतिविधियों ने सख्त सतह के क्षेत्र को बढ़ा दिया है जिससे ज़मीन पानी नहीं सोख पाती और पानी के यूँ ही बह जाने के कारण बाढ़ आने की घटनाएं बढ़ी हैं। पर्यावरण की अनदेखी के साथ ही भूगर्भीय जल का ज़्यादा दोहन और तेजी से बढ़ रहे अनियमित निर्माण ने इस समस्या को और बढ़ाया है। 2016 में गुरुग्राम में आई भयानक बाढ़ वहां के लोगों को “गुरुजाम” के रूप में अब तक याद है। उस समय लगातार बारिश  से शहर में जगह-जगह पानी भरने से बाढ़ आ गई थी और लोगों को भयंकर ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा था । पिछले कुछ सालों से तकरीबन हर साल हाइवे, अंडरपास और बेसमेंट पार्किंग स्पेस में पानी भर जाता है।

आलीशान और बड़ी-ड़ी इमारतों के लिए मशहूर गुड़गांव में शहरी स्तर पर पानी की निकासी को बढ़ावा देने के लिए इंगरसोल रैंड इंडिया ने सीड्स इंडिया (सस्टेनेबल इकोलॉजिकल और एनवॉयरमेंटल डिवेलपमेंट सोसाइटी) और जीडीएमए (गुड़गांव नगर निगम प्राधिकरण) से साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत प्राकृतिक तरीकों से शहर के केंद्र में स्थित 18 एकड़ क्षेत्र में स्थित कुदरती झील का पुनरुद्धार किया जाएगा।

सीड्स के सह-संस्थापक डॉमनु गुप्ता ने कहा, “किसी जलनिकाय का पुनरुद्वार या बहाली से जलवायु परिवर्तन के तरह-तरह के प्रभाव से निपटने में मदद मिलती है। इन प्रभावों में शहरों में बाढ़, पानी का संकट, हरियाली, पेड़-पौधों की कमी और प्रदूषण जैसी समस्याएं शामिल हैं। यह कुरदती समाधान न केवल बाढ़ के अतिरिक्त पानी का संग्रह करने की पृथ्वी की क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि इनके और भी अन्य कई लाभ हैं”।

अब शहरों को लगातार सामाजिक आर्थिक और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। भविष्य में ज्यादा से ज्यादा शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण इस स्थिति के और विकराल रूप लेने की संभावना है।  पर्यावरण को स्वस्थ बनाने के लिए चलाई जा रही परियोजनाएं जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभाव में कटौती करने में मुख्य भूमिका निभाती है गुरुग्राम में प्रस्तावित झील विकास परियोजना के तहत झील के किनारों पर तरह-तरह के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। नागरिकों के लिए जनसुविधाएं जैसे जॉगिंग और साइक्लिंग ट्रैक बनाए जाएंगे। लोगों को बोटिंग की सुविधा दी जाएगी और चिड़ियों को देखने के लिए ऊंचाई पर जगहें बनाई जाएंगी। स्ट्रीट लाइट, पिलर बॉक्स और बेंच जैसे स्टील फर्नीचर बनाने और एंट्रेंस गेट बनाने के लिए रिसाइकिल किए जाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाएगा। झील के किनारे प्रकाश को न्यूनतम स्तर पर रखा गया है, जिससे झील के किनारे लगाए जा रहे पेड़ पौधों और झील को कोई नुकसान न पहुंचे। ये प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद मनोरंजन और पिकनिक के स्थल के रूप में स्थानीय नागरिकों और बच्चों को आकर्षित करेगा। इसके अलावा यह क्षेत्र पर्यावरण संवर्धन और शोध की दिशा में काम करने वाले पर्यावरणविदों को भी अपनी ओर खींचेगा।

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